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Monday, April 29, 2024

मुगलकालीन जनपद के नाम को बदलने की जरूरत: गिरिराज सिंह

मुजफ्फरनगर, 08 अप्रैल (बु.)। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने मुजफ्फरनगर का नाम लिए बोले बिना ही कहा कि दुर्भाग्य देखिए कि वें जहां आए यहां का नाम भी नहीं लेना चाहते। उन्होंने कहा कि यह धरती जो किसानों की राजधानी है, लेकिन इसका नाम आज भी दशकों पुराना है, जो उनके लिए बोलना भी उचित नहीं कि वह इसका नाम भी बोलें। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों से देश को आजाद होने के 75 वर्ष बाद भी यहां मुगलों की निशानी अभी तक बाकी है, जिसका नाम अब बदलना ही चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने देश की युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक राष्ट्र स्वालंबन की ओर नहीं जाएगा, तब तक देश का विकास संभव नहीं हो सकता। केन्द्रीयपी पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्रालय की ओर से नुमाइश मैदान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय पशु प्रदर्शनी एवं कृषि मेले के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय ग्रामीण विकास व पंचायतीराज मंत्री गिरीराज सिंह ने अपने सम्बोधन की शुरूआत जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान के साथ जय श्रीराम के उद्घोष के बीच की, जिससे पूरा पंडाल गूंजाएमान हो गया। आम-ओ-खास से खचाखच भरे पंडाल में केंद्रीय मंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जिला किसानों की राजधानी है।

उन्होंने सवाल पूछा कि इस शहर का नाम क्या है ? लोगों ने जवाब में मुजफ्फरनगर बोला तो उन्होंने कहा कि वें इसका नाम लेना भी उचित नहीं समझते। उन्होंने कहा कि वें बोल भी नहीं सकते कि वह किस शहर में आए हैं । उन्होंने कहा कि बस अब इस शहर का नाम बदल ही देना चाहिए। इसके बाद उन्होंने पंडाल में मौजूद लोगों से जय श्रीराम का नारा लगवाया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों के बगैर देश की कल्पना संभव नहीं है। जब किसानों की चर्चा करता हूं तो लाल बहादुर शास्त्री का नाम लिए बगैर नहीं रह सकता। लाल बहादुर शास्त्री को देश का कौन किसान याद करना नहीं चाहेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा व पंजाब लाल बहादुर शास्त्री का घर बन गया था। क्षेत्र के किसानों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री ने काफी कार्य किए। उन्होंने कहा कि 60 के दशक में जब लाल बहादुर शास्त्री अमेरिका गए तो तुरंत ही देश लौटने की बात कही थी। ऐसा ही सपना मोदी जी ने देखा है, जिसके लिए किसानों के साथ युवा पीढ़ी को भी सोचना होगा।

 

उन्होंने कहा कि देश-प्रदेश की सरकार किसानों की लागत को कम करने के लिए वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि आमदनी बढ़ने के साथ युवा वर्ग इस ओर नई तकनीक के माध्यम से उत्तम खेती करने के साथ आमदनी बढ़ाए। उन्होंने कहा कि आज देश में व्यवहारिक और तकनीकी वैज्ञानिकों को साथ लाकर गांव-गांव काम करने की जरुरत है, इससे ही देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दौरान उन्होंने मंच से किसानों के बीच में आकर सायं को चौपाल लगाने के साथ फिर सनातन धर्म की चर्चा किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा की खातिर देश के लोकतंत्र को बचाना भी जरुरी है, तभी देश में संस्कृति व सनातन सभ्यता को सुरक्षित रखना होगा। उन्होंने कहा कि इन दोनों के बिना देश का लोकतंत्र खतरे में है।

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