वाराणसी, 07 जनवरी (बु.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय में वर्षों बाद फिर से एमडी-एमएस की सीटें बढऩे जा रही है। विभागवार सीटें बढ़ाने की स्वीकृति सोमवार को हुई पीपीसी (पालिसी प्लानिंग कमेटी) की बैठक में मिली। 2005 तक यहां पर एमडी-एमएस की सीटें मात्र 25 ही थी, जबकि शिक्षक भी मात्र 22 ही थे। अब यहां पर शिक्षकों की संख्या बढ़कर 121 तक पहुंच गई है। ऐसे में यहां पर अध्यापकों की संख्या, सुविधाओं एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद के मानकों को ध्यान में रखते हुए सीटें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए मार्च तक यहां सीसीआइएम (केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद) की टीम धमकने वाली है। चिकित्सा क्षेत्र में एमडी/एमएस की एक-एक सीटें भी बहुत मायने रखती हैं। कारण कि इतने ही चिकित्सकों की फौज तैयार होती है। बीएचयू में आयुर्वेद कालेज महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की पहल ने 1922 में आयुर्वेद विभाग शुरू हुआ। बाद में यह कालेज बना। बताया जा रहा है कि यहां 1963 से एमडी-एमएस कोर्स शुरू हुआ। धीरे-धीरे बढ़ते हुए इसकी सीटें 25 तक हुईं, जो कई वर्षों तक स्थिर रही। 2009 में ओबीसी चैप्टर के तहत 14 सीटें बढ़ी। इसके बाद 2020 में ईएसडब्ल्यू के तहत 11 सीटें बढ़ गई। अब यहां पर 50 से अधिक सीटें हो गई हैं।नई दिल्ली व जयपुर के साथ में देश में मात्र वाराणसी के बीएचयू में ही रेजिडेंसियल स्कीम लागू है, जिसके तहत एमडी-एमस के छात्रों को वेतन भी मिलता है। यह स्कीम यहां पर 1995 में लागू हुई थी।