मुज़फ्फरनगर, 30 मार्च (बु.)। शहर की सड़कों पर घर से निकलने के यूं तो लोगों के पास सौ बहाने हैं, कोई दूध का डोल तो कोई सब्जी का थैला लेकर सड़कों पर घूमता दिखाई पड़ रहा है, मगर पुलिस की चैकिंग के दौरान जो सबसे ज्यादा बहाने सामने आ रहे हैं, वो पिताजी की दवाई लेने व घर का राशन भरने के दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल आज के दौर में परिवार का कोई न कोई व्यक्ति बीमारी की चपेट में तो रहता ही है, जिसके चलते घर के उस व्यक्ति को डॉ. को भी दिखाना पड़ता ही है और डॉ. का यह पर्चा आज लॉक डाउन के दौरान सड़कों पर घूमने के लिए ब्रह्मास्त्र का कार्य कर रहा है। बस इसे दिखाओ और रिश्तेदारी में कहीं भी अपना चेहरा दिखाकर वापस लौट आओ। यही फार्मुला शहर के नागरिकों ने अपना रखा है, तभी तो सड़कों पर चलने वाले लोगों की सं या में अभी पूरी तरह से कोई कमी नहीं आ रही है। अभी तो एक-एक मोटरसाइकिल पर तीन-तीन लोग जाते आसानी से देखे जा सकते हैं, लेकिन जब इन्हें रोका जाता है, तो ये हॉस्पिटल में अपने किसी परिजन के होने का बहाना भर देते हैं। अब इनमें से कुछ 50 फीसदी लोग सच बोलते है और 50 फीसदी लोग झूठ। अब इनको पहचानना इसलिए ओर मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इनमें से अधिकतर लोग अपने घर के किसी भी बीमार व्यक्ति का पर्चा अपनी जेब में डाले रखते हैं और पुलिसकर्मियों के रोकते ही बस वह पर्चा दिखा देते हैं। घर के किसी भी बुजुर्ग या छोटे-बड़े व्यक्ति की बीमारी का पर्चा देखकर पुलिसकर्मी मानवता धर्म निभाते हुए उन्हें जाने की इजाजत दे देते हैं। दूसरे न बर पर पुलिस की चैकिंग के दौरान पकड़े जाने वाले लोगों में घर के राशन की पर्ची जेब में डाले हुए व हाथ में थैला लिए हुए लोग दिखाई पड़ते हैं। उक्त लोग भी चैकिंग के दौरान एक किलो मूंग की दाल, आधा किलो राजमा, 750 ग्राम छोले, ढ़ाई किलो चीनी, 250 ग्राम चाय की पत्ती, 250 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम जीरा लिखी हुई पर्ची तुरंत ही पुलिसकर्मी के हाथों में थमा देते हैं। बस यहां भी पुलिस कर्मी हताश हो जाता है और उसे घर का राशन लेने के लिए भेज ही देता है। अब यह किसी को समझ नहीं आ रहा कि लोग एक महीने का राशन और 15-15 दिनों की दवाइयां अपने घर में भर चुके हैं। फिर सड़कों पर ये बहानेबाजी क्यों चल रही है। शायद इसका जवाब कुछ दिनों में खुद ही मिल जायेगा, या तो शासन जल्द ही घर से बाहर ना निकलने के स त आदेश जारी करेगा, या फिर कोरोना वायरस पीडि़तों की संख्या में एकाएक वृद्धि देखी जायेगी, तब कहीं जाकर शायद हम ये बहाने बनाने बंद करेंगे और घर में भूखे रहकर और बिना दवाई खाकर अपना गुजारा करने को मजबूर हो जायेंगे.