लखनऊ, 29 अप्रैल (बु.)। प्रधानमंत्री के तमाम अनुरोध और एडवाइजरी के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों पर लगातार हमले जारी हैं। इन हमलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने इसे गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। फ्रंटलाइन पर काम करने वाले कोरोना वॉरियर्स के लिए ये राहत की खबर है। इसी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी कानून में संशोधन कर कोरोना से लड़ने वालों पर हमला करना गैर जमानती अपराध घोषित किया कर दिया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी की है।
इस अधिसूचना के तहत डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मियों पर हमला अपराध माना जाएगा। एंबुलेंस, सरकारी संपतत्ति को नुकसान पहुंचाना भी अपराध होगा। यूपी में हमले के आरोपियों को पांच लाख रुपये तक जुर्माना और 7 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। यही नहीं, हमले में स्वास्थ्य कर्मी के वाहन व निजी संपत्ति के नुकसान होने की स्थिति में आरोपी से नुकसान की दोगुनी राशि वसूल की जाएगी।
1897 में बने महामारी बीमारी कानून में संशोधन के बाद इस कानून के तहत आने वाले अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हो जाएंगे। यानी थाने से आरोपी को जमानत नहीं मिल सकेगी। ऐसे मामले की जांच वरिष्ठ इंस्पेक्टर के स्तर पर 30 दिन में पूरा करने और एक साल के भीतर अदालत में इसकी सुनवाई पूरी कर फैसला का प्रावधान कर दिया गया है। पहली बार इस कानून में राष्ट्रीय स्तर पर एक समान सजा का प्रावधान किया गया है।
दरअसल देश के विभिन्न भागों हो रहे हमलों को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसके सांकेतिक विरोध का भी आह्वान किया था। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून में इन संशोधनों के लिए अध्यादेश को हरी झंडी दे गई थी।