देवबंद से फतवा जारी,रमजान माह में घरों में ही अदा करेें तरावीह की खास नमाज
देवबंद, 20 अप्रैल (वार्ता)। कोरोना वैश्विक महामारी के चलते देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान 25 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान माह के दौरान तरावीह की मस्जिदों में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज देशभर के मुसलमान अपने-अपने घरों पर रहकर ही बिना जमात के अकेले में ही पढ़े। मुस्लिमों के धार्मिक क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम ने दूसरा फतवा जारी किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान 25 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान माह के दौरान तरावीह की मस्जिदों में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज देशभर के मुसलमान अपने-अपने घरों पर रहकर ही बिना जमात के अकेले में ही पढ़ें। इस फतवे का देवबंदी मसलक की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओ जमीयत उलमाएं हिद के दोनों धड़ों के पदाधिकारियों कारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी, मौलाना अरशद मदनी,मौलाना महमूद मदनी पूर्व सांसद एवं दारूल उलूम के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी जैसी बड़ी इस्लामिक शख्सियत ने समर्थन किया है।
दारूल उलूम के मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी ने आज कहा कि दारूल उलूम के फतवा विभाग के मुफ्तियों हबीबुर्रहमान खैराबादी, महमूद हसन बुलंदशहरी, जैनुल इस्लाम, वकार अली और नोमान सीतापुरी ने हदीसों और हजरत पैगंबर साहब के निर्देशों और शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक राय से फतवा जारी कर कहा है कि जो हालात इस वक्त देश और दुनिया के है। उसके चलते पवित्र रमजान माह में मुसलमानों के लिए तरावीह की विशेष नमाज घरो पर पढऩा पूरी तरह से इस्लामिक एतबार से जायज माना जाएगा। तरावीह की विशेष नमाज के दौरान मस्जिदों में आने वालो को कुरान का जानकार हाफिज, कारी कुरान का पाठ भी सुनाता है। इस बार पहली बार रमजान माह में मुसलमानों को इस कार्य से वंचित रहना पड़ेगा। दारूल उलूम ने इससे पहले इसी माह दो अप्रैल को ऐतिहासिक फतवा जारी करते हुए मुस्लिमों से जुमे की नमाज घरो पर ही पढऩे का आग्रह किया था, जिसका देश भर में मुसलमानों ने पूरी तरह से पालन किया। सभी मुसलमान पूर्णबंदी के दौरान अपनी पांचो वक्त की नमाज घरो पर ही अकेले में अदा कर रहे है। शबे-बारात के पवित्र त्यौहार पर भी दारूल उलूम की अपील का मुसलमानों ने पालन कर घरो पर ही अकेले में नमाज अदा की थी और खुद को कब्रिस्तानों पर अपने पूर्वजों की याद में फातिया पढऩे से जाने से पूरी तरह से रोका था। दारूल उलूम के इन फैसलों से कोरोना के संक्रमण के फैलने पर अंकुश लगा है। दारूल उलूम वक्फ के विदेशी विभाग के प्रमुख मौलाना अब्दुल्ला जावेद ने बताया कि उनकी संस्था दारूल उलूम वक्फ भी इस फतवे का पुरजोर समर्थन करती है। जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिदों में इमाम और अजान देने वाला मौअजिन्न और एक खादिम तरावीह की नमाज बिना जमात के अदा कर सकते हैं। उन्हें भौतिक दूरी का ध्यान रखना होगा और उनके अलावा कोई मुसलमान मस्जिद में न/न प्रवेश करेगा और न/न ही वहां नमाज में शरीक होगा। इसका उल्लंघन होने पर पुलिस कानूनी कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगी।