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Saturday, November 23, 2024

रद्द हुए 813 बंदूक लाइसेंस

राज्य में फैले गन कल्चर यानी बंदूक रखने के शौक को काबू में करने के लिए सरकार ने 813 बंदूक लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इसके तहत आने वाले दिनों में बंदूक का सार्वजनिक कामों में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप)  ने राज्य भर में 813 गन लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।  एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब अर्बन हाउसिंग और विकास मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि ये फैसला राज्य में फैले गन कल्चर यानी बंदूक रखने के शौक को काबू में करने के लिए लिया गया है।  अमन अरोड़ा ने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में गन के सार्वजनिक कामों में इस्तेमाल पर लगाम लगाया जाएगा और गन का इस्तेमाल धार्मिक जगहों, शादियों या किसी भी तरह के पार्टी फंक्शन में नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में चेकिंग भी की जाएगी।  पंजाब सरकार के मंत्री का मानना है कि राज्य में गन कल्चर की वजह से हिंसा बढ़ती जा रही है। अरोड़ा ने बताया कि पंजाब में 3 लाख से अधिक  हथियार लाइसेंस हैं। 

जानिए 2022 में दिया गया वो आदेश में क्या था

13 नवंबर, 2022 को राज्य के गृह मामलों और न्याय विभाग की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखा था। इस पत्र में  सभी जिलों के मजिस्ट्रेट, आयुक्तों और एसएसपी को ये आदेश दिया गया था कि वो अपने इलाकों में गन के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगाएं साथ ही गन का महिमामंडन करने वाले गानों पर भी पांबदी लगाई जाए।

इस आदेश के तीन महीने के भीतर सभी लाइसेंसी गन की समीक्षा करने का ऑर्डर भी दिया गया था। साथ ही नए लाइसेंस देने पर भी रोक लगा दी गई थी। वहीं कुछ जरूरी परिस्थतियों में अधिकारियों को लाइसेंस देने की छूट दी गई थी। पंजाब पुलिस ने 29 नवंबर को ये कहा था कि इस आदेश का पालन कोई भी नहींं कर रहा है। आदेश के बाद भी लोग अपनी सुरक्षा का हवाला देकर नए लाइसेंस बनवा रहे हैं। उसी समय प्रौद्योगिकी (आईटी) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों ने यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हिंसा, ड्रग, और शराब का महिमामंडन करने वाली सामग्री को हटाने का आदेश दिया था। आदेश पंजाब और हरियाणा के हाईकोर्ट के फैसले के बाद आया था। उस समय पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी को आदेश दिया गया था कि किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शराब का महिमामंडन करने वाला कोई गाना न हो। ये भी आदेश था कि लाइव शो में भी इस तरह के गाने न बजाए जाएं। अगर ऐसा होता है तो प्रत्येक जिले के जिला मजिस्ट्रेट/एसएसपी/एसपी व्यक्तिगत रूप से इसके लिए जिम्मेदार होंगे। इस आदेश के बाद भारतीय शस्त्र अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। साल 1959 के दौर के गायकों जैसे एली मंगत और सिप्पी गिल के गानों को कथित तौर पर हिंसा को बढ़ाने वाले गाने बताए गए थे। सिप्पी गिल का गाना ‘गुंडागर्दी’ उस समय खूब चर्चा में आया था।

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