12 FEB 2023
सम्पादकीय
मोहन भागवत,महमूद मदनी
भारत में मोहन भागवत का भी सम्मान है और महमूद मदनी का भी। भारत पंथनिरपेक्ष देश है यहां सभी, अपने-अपने पंथ पर चलते हुए एक दूसरे के पंथ का सम्मान करते हैं यही भारत की विशेषता है। मोहन भागवत के वक्तव्य और महमूद मदनी के बयान लोगों को दिशा देते हैं और देश भक्ति यानी हुब्बुल वतनी की प्रेरणा देते हैं।मोहन भागवत के बयान, महमूद मदनी के बयान अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, हर कोई अपने हिसाब से उनकी व्याख्या करता है।दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत का 34 वाँ अधिवेशन हुआ इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ महमूद मदनी ने कहा भारत जितना मोदी और भागवत का है, उतना ही मदनी का भी है।महमूद मदनी ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस से हमारा कोई धार्मिक मतभेद नहीं है, बल्कि वैचारिक मतभेद है।जमीयत चीफ ने कहा, हमारी नजर में हिंदू और मुसलमान बराबर हैं। हम इंसान के बीच कोई फर्क नहीं करते हैं।मदनी ने कहा कि यह भूमि मुसलमानों की पहली मातृभूमि है।यह कहना कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो बाहर से आया है, सरासर गलत और निराधार है। इस्लाम सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है। मुसलमानों के लिए भारत सबसे अच्छा देश है, लेकिन यहां मुस्लिमों के खिलाफ नफरत और उकसावे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।जमीयत उलेमा-ए-हिंद मुसलमानों का 100 साल पुराना संगठन है। यह संगठन मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन होने का दावा करता है। इसके एजेंडे में मुसलमानों के पॉलिटिकल, सोशल और धार्मिक मुद्दे रहते हैं। ये संगठन इस्लाम से जुड़ी देवबंदी विचारधारा को मानता है।मोहन भागवत हाल ही में दिए गये अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं इससे पहले उन्होंने मुस्लिमों को लेकर आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पाञ्चजन्य को दिए इंटरव्यू में बात की थी।मोहन भागवत ने अन्य मुद्दों के साथ ही मुस्लिमों को लेकर कहा था कि भारत में मुस्लिमों को डरने की जरुरत नहीं है, लेकिन उसके साथ ही मोहन भागवत ने मुस्लिमों से श्रेष्ठता भाव को छोडने की भी अपील की थी।मोहन भागवत ने कहा था आज हमारे भारत में जो मुसलमान हैं, उनको कोई नुकसान नहीं है।वह हैं, रहना चाहते हैं, रहें।पूर्वजों के पास वापस आना चाहते हैं,आएं,उनके मन पर है, हिन्दुओं में ये आग्रह है ही नहीं, इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। हां, हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर राजा बनें, यह छोड़ना पड़ेगा,हम सही हैं, बाकी गलत, यह सब छोड़ना पड़ेगा। हम अलग हैं, इसलिए अलग ही रहेंगे।हम सबके साथ मिलकर नहीं रह सकते, यह छोड़ना पड़ेगा।किसी को भी छोड़ना पड़ेगा।ऐसा सोचने वाला कोई हिन्दू है, उसको भी छोड़ा पड़ेगा।कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा।मोहन भागवत के इस इंटरव्यू की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि मोहन भागवत सबसे पहला संदेश देना चाह रहे हैं कि भारत सभी धर्मों के लोगों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है।यहां पर उन्होंने ये भी जोड़ा है कि मुस्लिमों को खुद को ही श्रेष्ठ मानने के भाव से दूर होना होगा।मुस्लिमों के साथ ही उन्होंने जिन हिन्दुओं में श्रेष्ठता का भाव आ रहा है, उनको भी साधने की कोशिश की है।मोहन भागवत के जरिए आरएसएस की हिन्दु-मुस्लिम के बीच संतुलन साधने की कोशिश दिखाई दे रही है।ऐसा ही कुछ अब महमूद मदनी ने कहा है।जमीयत चीफ महमूद मदनी ने कहा है कि हम आरएसएस और उसके सर संघ चालक मोहन भागवत को न्योता देते हैं।आइए, आपसी भेदभाद और दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को गले लगाएं और देश को दुनिया का सबसे शक्तिशाली मुल्क बनाएं। हमें सनातन धर्म से कोई शिकायत नहीं है, आपको भी इस्लाम से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।बात सही है।भारत का स्वभाव अर्थात धर्म है मानवता और मानवता आपसी भाईचारे में है। ऐसा ही कुछ मोहन भागवत ने कहा लेकिन उसकी आलोचना भी हो रही है।संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे थे।रविंद्र नाट्य मंदिर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि देश में विवेक और चेतना सभी समान हैं, बस राय अलग है। भागवत ने कहा कि जब हम आजीविका कमाते हैं, तो समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी होती है। जब हर काम समाज की भलाई के लिए होता है, तो कोई काम बड़ा, छोटा या अलग कैसे हो सकता है?मोहन भागवत ने कहा कि हमारे निर्माताओं के लिए हम समान हैं। कोई जाति या संप्रदाय नहीं है। ये मतभेद हमारे पुजारियों द्वारा बनाए गए थे जो गलत था। उन्होंने कहा कि संत रोहिदास का कद तुलसीदास, कबीर और सूरदास से भी बड़ा है इसलिए उन्हें संत शिरोमणि माना जाता है। यद्यपि वह शास्त्रार्थ में ब्राह्मणों को नहीं जीत सके लेकिन वह कई दिलों को छूने में सक्षम थे। उन्होंने लोगों के मन में भगवान में विश्वास पैदा किया।संत रोहिदास का मानना था कि धर्म केवल अपना पेट भरना नहीं है। वह कहते थे कि अपना काम करो और अपने धर्म के अनुसार करो। समाज को एकजुट करो और उसकी प्रगति के लिए काम करो क्योंकि धर्म यही है। ऐसे विचारों और उच्च आदर्शों के कारण ही कई बड़े नाम संत रोहिदास के शिष्य बने।पंजाब में संत रविदास जी को संत रविदास कहा जाता है तो वहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से जाना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के लोग ‘रोहिदास’ और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें रविदास के नाम ही से जानते हैं।संत रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को जहुआ, उस रविवार का दिन था जिसके कारण उनका नाम रविदास रखा गया था रविदास 15 वीं शताब्दी के ऐसे कवि थे जिन्होंने ये साफ़ किया था कि भगवान और मंदिर की ज़रुरत इंसान को रोटी और इंसानियत से ज़्यादा पसंद नहीं है।देश के विकास में सभी का योगदान होता है,यह भारत की भूमि सभी को प्रेम से पलती है, उसी प्रेम से सभी को रहना है, किसी शायर ने कहा है-
सभी हिन्दू, सभी मुस्लिम यही बस ज़हन में रक्खें,
नमाज़ों में न हो अड़चन, न मुश्किल आरती में हो।