9 JANUARY 2023
राहुल गांधी और विदेशी मीडिया
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से लोग काफ़ी जुड़ रहे हैं।इस यात्रा के कारण कांग्रेस से वोटर कितने जुड़ रहे हैं?यह अभी सवाल ही है।भारतीय मीडिया भी यात्रा से जुड़ रहा है तो विदेशी मीडिया भी इस यात्रा से जुड़ रहा है।राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा हरियाणा में प्रवेश कर चुकी है।आने वाले दिनों में ये यात्रा हरियाणा से होती हुई पंजाब और फिर आख़िर में जम्मू-कश्मीर पहुँचेगी।चार महीने पहले शुरू हुई इस यात्रा के तहत अब तक सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ राहुल गांधी दस राज्यों के 52 ज़िलों से होकर गुज़र चुके हैं।कांग्रेस की इस पद यात्रा में विदेशी मीडिया ने भी रुचि दिखाई है।जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डी डब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी इस यात्रा के ज़रिए महंगाई, बेरोज़गारी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे उठाकर न सिर्फ़ अपनी खोई राजनीतिक ताक़त फिर से हासिल करना चाहती है, बल्कि वह राहुल गांधी को एक जननेता के रूप में भी स्थापित करना चाहती है।डी डब्ल्यू लिखता है,एक राजनीतिक पार्टी जिसने अपने 100 साल के लंबे इतिहास में से ज़्यादातर समय भारतीय राजनीति को दिशा दी है, वह अब 2024 के आम चुनाव से पहले किसी तरह ख़ुद में एक नई जान फूंकने के लिए छटपटा रही है।कांग्रेस इस समय भारत के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ़ तीन राज्यों में सरकार चला रही है।ये तीन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश हैं, जहाँ कांग्रेस को बहुमत हासिल है। वहीं, तमिलनाडु, बिहार और झारखंड में वह क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सत्ता में है।इससे पहले भी जब कांग्रेस सत्ता से बाहर रही है, तब भी उसने विपक्ष की भूमिका निबाही थी।लेकिन ये पहला मौक़ा है, जब कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष बनने भर भी सांसद नहीं हैं।जर्मन के डी डब्ल्यू ने कुछ भारतीय राजनीति विश्लेषकों से भी बात की। उनमें से एक के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस इस समय जिस संकट का सामना कर रही है, उसकी वजह पार्टी की ओर से हिंदू राष्ट्रवाद का प्रभावशाली ढंग से सामना करने में विफल रहना है।यही नहीं, इसके लिए धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण के चलते सिकुड़ते मध्य मार्ग के साथ-साथ व्यक्तिगत और सांगठनिक असफलताएं भी ज़िम्मेदार हैं।हिंदू राष्ट्रवाद ने कांग्रेस पार्टी के भारत को लेकर विविधतावादी विचार के लिए अहम चुनौती पेश की है।रणनीतिक और ज़मीनी सच्चाई के रूप में भी धार्मिकता और राजनीति का मेल कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक फ़ायदे की गारंटी नहीं देता। ऐसे में इस पार्टी को ध्रुवीकरण की राजनीति से इतर ऐसा राजनीतिक विकल्प तैयार करना होगा जो सभी को साथ लेकर चलने वाला हो।अमेरिका के अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स के संवाददाताओं ने भारत जोड़ो यात्रा में चलकर आम लोगों में इसके असर को भांपने की कोशिश की है।न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित ख़बर में लिखा गया हैं,अब जब आम चुनाव होने में बस 16 महीने शेष हैं तो राहुल गांधी की यात्रा ये तय करती है कि भारत का बँटा हुआ विपक्ष पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के युग परिभाषित करने वाली महत्वाकांक्षाओं को विराम दे पाएगा,भारत में बहुदलीय लोकतंत्र का भविष्य अधर में लटका हुआ है। भारत के सबसे ताक़तवर नेताओं में से एक नरेन्द्र मोदी ने भारत की धर्मनिरपेक्ष नींव को एक नया स्वरूप दिया है।नरेन्द्र मोदी की एक शख़्सियत के रूप में पहुंच इतनी गहरी और सफलताएं इतनी व्यापक हैं कि बीजेपी नेता मानते हैं कि उनकी पार्टी आने वाले कई दशकों तक भारत में राजनीतिक प्रभुत्व बनाए रखेगी।विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी भारत के अलग-अलग कोनों और इसके संस्थानों पर अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है और उन्हें उन मंचों से बाहर कर दिया गया है, जहां से वे आम लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचा सकते।भारतीय संसद जहाँ कभी खुलकर बहसें हुआ करती थीं, वह अब मंत्रियों के भाषणों तक सीमित रह गया है और सत्तारूढ़ पार्टी अहम नीतिगत मुद्दों पर बहस करने से बचती नज़र आती है।इसके साथ ही बीजेपी ने एक हद तक दबाव डालने के साथ ही सरकारी विज्ञापन रोकने की धमकियों से पारंपरिक मीडिया को एक हद तक अपने रुख़ को स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया है।पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अख़बार डॉन ने अपने एक लेख में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा और खड़गे की अपेक्षित सफ़लताओं को एक सूत्र में पिराने की कोशिश की है।कांग्रेस पार्टी में हाल ही में अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में राज्यसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत हुई है।लेकिन उन्हें चुनौती देने वाले शशि थरूर गुट की ओर से चुनाव के दौरान धांधली करने का आरोप भी लगाया गया था।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि खड़गे को गांधी परिवार का समर्थन हासिल था।लेकिन इसके बाद भी संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक के रूप में लंबा करियर पूरा करने वाले शशि थरूर को इस चुनाव में अपेक्षा से कहीं अधिक वोट मिले।मगर चुनाव नतीजे आने के बाद शशि थरूर को वो जगह और अधिकार नहीं दिए गए जितनी उनके समर्थकों को उम्मीद थी।अख़बार लिखता है,राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए अपनी पार्टी और देश की ख़राब सेहत सुधारने की कोशिश करना चाहते हैं। लेकिन 12 राज्यों से होते हुए 150 दिनों में 3570 किलोमीटर की यात्रा करना कोई चमत्कारी काम नहीं है।और न ही राहुल गांधी की ओर से कैमरों की मौजूदगी के बिना समुद्र में गोते लगाने की क्षमता दिखाना। भारत में इस साल एक के बाद एक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जिनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्य भी शामिल हैं।कांग्रेस पार्टी ने पिछली बार इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी। लेकिन बीजेपी की रणनीति और कांग्रेस की आंतरिक कलहों के चलते कांग्रेस इनमें से सिर्फ़ दो राज्यों में अपनी सरकार बचा सकी।इन अहम चुनावों के कुछ महीनों बाद 2024 में भारत में आम चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी किसी तरह आम मतदाताओं में अपनी पार्टी को लेकर उत्साह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, इन कोशिशों का परिणाम, चुनाव परिणाम से पता चलेगा।