सिंधु समझौते को लेकर भारत का पाकिस्तान को नोटिस, बड़े बदलाव की ओर इशारा।
जानें क्या है सिंधु जल समझौता
✓19 सितंबर 1960 को समझौते पर हस्ताक्षर
✓6 नदियों पर हुआ सिंधु जल समझौता
✓80 फीसदी पानी पाकिस्तान को जाता है
✓20 फीसदी पानी भारत के हिस्से आता है
✓3 पूर्वी नदियों व्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को
✓3 पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाक को आवंटित
✓36 लाख एकड फीट पानी पश्चिमी नदियों से ले सकता है भारतस, समझौता टूटने के खतरे, अंतर्राष्ट्रीय निंदा, बाढ़ की आशंका,दूसरे देशों से जल समझौते में दिक्कत
1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। जिस समय यह संधि हुई थी उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नही हुआ था उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा जिस में उस को अपना एक हिस्सा खोना पड़ा जो बंगला देश के नाम से जाना जाता है तब से अब तक पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है भारत के विरुद्ध, जिस की वजह से किसी भी समय यह सिंधु जल समझौता खत्म हो सकता है और जिस प्रकार यह नदियाँ भारत का हिस्सा हैं तो स्वभाविक रूप से भारत इस समझौते को तोड़ कर पूरे पानी का इस्तेमाल सिंचाई विद्युत बनाने में जल संचय करने में कर सकता है पंकज मंडोठिया ने समझौते और दोनों देशों के बीच के तनाव को ध्यान में रख कर इस समझौते के टूटने की बात कही है क्योंकि वर्तमान परिस्थिति इतनी तनावपूर्ण है कि यह समझौता रद्द हो सकता है क्योंकि जो परिस्थिति 1960 में थी वो अब नही रही