मुजफ्फरनगर, 12 अप्रैल (बु.) । चेयरमैनी चुनाव का बिगुल बजते ही ब्राह्मण, पंजाबी, वैश्य समाज के उम्मीदवार चेयरमैनी पद पर अपनी अपनी मजबूत दावेदारी रख रहे हैं, मगर पार्टियों का मिजाज कुछ और ही दिख रहा है। अधिकांश पार्टियां वैश्य समाज को टिकट देने को तैयार हैं, मगर इस बार ब्राह्मण व पंजाबी समाज अपनी दावेदारी को अपना हक बता रहा है, वह इसलिए कि ब्राह्मण व पंजाबी समाज का कहना है कि हर बार वैश्य समाज को ही राजनीति में तरजीह दी जाती है और ब्राह्मण व पंजाबी समाज, वैश्य समाज के साथ खुलकर खड़ा होता है, मगर इस बार वैश्य समाज ब्राह्मण व पंजाबी समाज का समर्थन करे, ऐसी उम्मीद दोनों समाज के मन में जगी हुई है। समाजवादी पार्टी की बात करें तो सपा ब्राह्मण समाज को चुनाव मैदान में उतारने के मूड़ में दिख रही है। वहीं कांग्रेस, आप व भाजपा से वैश्य समाज के उम्मीदवार उतारे जाने की सुरसुराहट साफ सुनी जा रही है। हालांकि मुजफ्फरनगर नगर पालिका का चुनाव पिछली बार की तरह कांग्रेस के साथ होने की उम्मीदें कम जताई जा रही हैं, क्योंकि पूरे जिले में सपा का जनाधार दमदार तरीके से बढ़ा है, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि चुनाव इस बार सपा
और भाजपा के बीच ही होगा। ऐसे में भाजपा के लिए भी बड़ी विडम्बना यह सामने आ रही है कि यदि वह ब्राह्मण और पंजाबी समाज को नजरअंदाज करती है तो इस बार हर हाल में दोनों समाज भाजपा से मुखर होते दिखाई देंगे। ऐसे में भाजपा को ब्राह्मण अथवा पंजाबी समाज का ही उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारना होगा और यदि भाजपा ऐसा नहीं करती तो सम्भवतः तीसरी बार भी पार्टी को हार का दंश झेलना पड़ सकता है। पंजाबी समाज की बात करें तो पंजाबी समाज तथ्यों सहित अपनी बात को रखकर टिकट मांग रहा है। सिर्फ एक बार दो दशक पूर्व पंजाबी समाज के जगदीश भाटिया को उम्मीदवार के रूप में उतारा गया था और जगदीश भाटिया ने दमदार जीत हासिल की थी, उसके बाद से अब तक न तो पंजाबी समाज को भाजपा में कोई
बड़ा पद दिया गया और न ही भाजपा का कोई उम्मीदवार चेयरमैनी अथवा विधायकी के चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन इस बार पंजाबी समाज के पास दमदार चेहरे कुशपुरी व अशोक बाठला के रूप में मौजूद हैं। उक्त दोनों की प्रबल दावेदारी भी है और पंजाबी समाज उम्मीद जता रहा है कि इन दोनों उम्मीदवारों में से जिसको भी पार्टी उम्मीदवार के रूप में उतारती है, वह पुरजोर तरीके से चुनाव लड़ेगा। कुशपुरी के साथ एक प्लस प्वाइंट यह भी है कि वह वैश्य और पंजाबी दोनों घरानों से अच्छे तअल्लुक रखते हैं, इसी तरह ब्राह्मण समाज भी फिर एक बार अपनी दावेदारी मजबूती से जता रहा है। ब्राह्मण समाज का कहना है कि पिछली बार उनका उम्मीदवार कुछ हजार वोटों से ही पराजित हुआ था, ऐसे में
यदि दोबारा ब्राह्मण समाज को उम्मीदवार के रूप में उतारा जाता है तो इस बार जीत की सम्भावनाएं प्रबल हैं। ब्राह्मण समाज को भी सर्वसमाज का समर्थन मिलने की उम्मीदें हैं। समाज में बड़े चेहरों में अभी भी सुधाराज शर्मा पत्नी अरविन्द राज शर्मा का नाम कायम है। उसके अलावा पूर्व चेयरमैन डॉ. सुभाष चन्द शर्मा की पुत्री श्वेता कौशिक व शालिनी शर्मा, ऊषा शर्मा पत्नी श्रीभगवान शर्मा भी अपनी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। यूं तो ब्राह्मण समाज से विजय शुक्ला पहले से ही जिलाध्यक्ष की कुर्सी पद मौजूद हैं, ऐसे में उन्होंने अपनी दावेदारी नम्बर वन पर रखी है, मगर पार्टी उच्च पद पर आसीन पदाधिकारियों के रिश्तेदारों को कतई टिकट देने के मूड में नहीं है। आज ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात
को साफ कर दिया कि वे किसी विधायक, मंत्री या पार्टी के उच्च पदाधिकारियों के रिश्तेदारों को कोई टिकट नहीं देंगे। अब देखना यह होगा कि भाजपा वैश्य समाज पर ही अपना विश्वास व्यक्त करती है या मौका माहौल देखकर इस बार पंजाबी समाज व ब्राह्मण समाज के उम्मीदवारों पर अपना विश्वास जताती है। कांग्रेस व आप पार्टी तो फिलहाल वैश्य समाज को चुनाव मैदान में उतारने के मूड में है। आप पार्टी का जनाधार यहां ना के बराबर होने के कारण कोई असर नहीं डालने वाला मगर पिछली दो पारियों से कांग्रेस के सिम्बल पर चेयरमैनी में जीत हासिल करने वाले वैश्य समाज पर फिर एक बार कांग्रेस दांव खेलने के मूड में है और कांग्रेस इस बार भी कोई बड़ा नाम ही चुनाव मैदान में उतारेगी। इसके अलावा बसपा भी इस बार चेयरमैनी चुनाव दमदारी से लड़ने के मूड में दिख रही है और वह भी वैश्य – मुस्लिम का गठजोड़ मूड में है और वैश्य समाज के कई दावेदार बसपा के करीबी बताए जा रहे हैं। अगर बसपा से कोई मजबूत दावेदार उतरता है तो मुकाबला चुनाव आने तक त्रिकोणीय भी हो सकता है। कुल मिलाकर देखना यह होगा कि कौन कौन सी पार्टियां वैश्य समाज पर और कौन कौन सी पार्टियां वैश्य व पंजाबी समाज पर अपना विश्वास व्यक्त करती हैं।