मुजफ्फरनगर, 16 मार्च (बु.)। अप्रैल मई में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया तय है। इसके लिए सरकार और प्रशासन की मंशा है कि अधिक से अधिक वोटर इसके लिए वोटर लिस्ट में जुड़े और संशोधन का काम भी तेजी से हो, लेकिन निचले स्तर पर बीएलओ की लापरवाही इस अभियान को पलीता लगा रही है। स्थिति यह है कि अपनी वोट खोजने के लिए मतदान केंद्रों पर जा रहे लोगों को अनेक स्थानों पर तरकीबें बताकर चक्कर कटाए जा रहे हैं। कहीं नई वोट या संशोधन के लिए फार्म नहीं हैं तो कहीं बीएलओ ही गायब मिलते हैं। ऐसे में उन लोगों को खासी परेशानी हो रही है जो नगर पालिका का सीमा विस्तार होने के बाद पालिका में जुड़े हैं।
ओबीसी के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार दोनों चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। इस क्रम में 11 से 17 मार्च तक विशेष अभियान निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह कि निर्वाचक नामावलियों में जो नाम छूट गए हैं, उन्हें जोड़ा जा सके और इसके अलावा अगर कोई संशोधन हो तो किया जा सके। इसके लिए जिले में तमाम स्थानीय निकाय क्षेत्र में मतदान केंद्रों पर बीएलओ की ड्यूटी लगाई गई है। उन्हें केंद्रों पर बैठकर वहां पहुंचने वाले मतदाताओं की बात सुननी और उस पर कार्रवाई करनी है। ऐसे में उनके पास सबसे बड़ा जिम्मा नई वोट बनाना और संशोधन करना है। खुद राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं और नई वोटें बनवाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
इसके बावजूद कई स्थानों पर देखने को मिल रहा है कि या तो बीएलओ पहुंच नहीं रहे हैं और पहुंच रहे हैं तो थोड़े समय ही वहां बैठ रहे हैं। प्रशासन ने वोटर लिस्टों की अनंतिम सूची का प्रकाशन किया था। मतदान केंद्रों पर इस सूचियों का चस्पा किया जाना था। इसके बावजूद अनेक मतदान केंद्रों पर सूची नहीं है। कुछ मतदान केंद्रों की स्थिति यह है कि वहां मौजूद बीएलओ पहुंचने वाले मतदाताओं को अपने मोबाइल से देखकर यह तो बता देते हैं कि उनकी वोट है या नहीं। लेकिन वोट ना होने की स्थिति में कई स्थानों पर मतदाताओं को भटकना पड़ रहा है। कुछ जगह तो बीएलओ सीधे उन्हें ऑन लाइन जाकर वोट बनवाने के लिए कह देते हैं। कुछ स्थानों पर उनके पास फार्म ही नहीं हैं। कुछ स्थानों पर एकाध फार्म है भी मतदाता को उसकी फोटो स्टेट कराने के लिए कहा जाता है । निरक्षर मतदाता अंगूठा लगाना चाहे तो बीएलओ के पास इंक पैड़ नहीं होता । एक मतदाता ने बताया कि उसका निवास शांतिनगर में है। वहां मतदान केंद्र पर जाने के बाद उन्हें दूसरे स्थान पर जाने के लिए कह दिया गया। वहां पहुंचने पर उन्हें कहा गया कि अगर वे वहां वोट बनाएंगे तो उनका वोट दूसरे वार्ड में चला जाएगा। वहां उन्हें आदर्श कॉलोनी के एक अन्य मतदान केंद्र पर भेज दिया गया। इससे उन्हें एक स्कूल भेज दिया गया, इस केंद्र पर पता चला कि परीक्षा होने के कारण बीएलओ दो बजे आएंगे। दो बजे बीएलओ पहुंचे जरूर, लेकिन उन्हें ऑन लाइन वोट एप्लाई करने का फार्मूला बताते हुए वहां से भी रवाना कर दिया गया। उन्हें आधार कार्ड आदि की व्यवस्था कर ऑन लाइन वोट बनवाने का मंत्र दे दिया गया। उक्त मतदाता का कहना है कि ऑनलाइन ही सब कुछ होना है तो बीएलओ को मतदान केंद्रों पर भेजने की कवायद का क्या मतलब है? ऐसे में वे गरीब या अशिक्षित या अक्षम लोग क्या करेंगे, जिन्हें ऑन लाइन वोट बनवाने की तकनीकी जानकारी ही नहीं है। ऐसे में तमाम स्थानों पर असंख्य वोटर मतदान केंद्रों के चक्कर काट कर घर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि मतदान केंद्रों के बजाय टीमों को घरों पर भेजकर वोटों का सत्यापन, संशोधन और नई वोट बनाने का काम करना चाहिए । बीएलओ का नंबर तक मतदान केंद्रों पर नहीं है। घर घर जाकर सत्यापन की बात तो काफी दूर लग रहा है। ऐसे में मुसीबत उन इलाकों में अधिक है जो इलाके नगर पालिका में नए जुड़े हैं। वहीं कुछ बीएलओ का कहना है कि इस मामले में वह भेड़ के फूफा हैं, इस मामले की न तो उन्हें कोई जानकारी है और न ही उन्हें कोई ट्रेनिंग दी गयी है।