मुजफ्फरनगर, 31 मार्च (बु.)। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ट्रिपल टेस्ट के आधार शहर और खतौली नगर पालिका समेत जिले की तमाम नगर पंचायतों में आरक्षण बदल जाने से बड़ी संख्या में दावेदारों की उम्मीदों और तैयारियों पर पानी फिर गया। मुजफ्फरनगर पालिका सीट महिला के लिए आरक्षित होने के बाद अब कई उम्मीदवार जहां थक हार कर बैठ गए हैं, वहीं कई दावेदार अपने परिवार की महिलाओं को मैदान में उतारने के लिए दांवपेंच में जुट चुके हैं। ऐसे में पिछले आरक्षण के हिसाब से पेनल तैयार कर चुकी पार्टियों को भी नए सिरे से कवायद करनी पड़ेगी। इसी तरह खतौली चेयरमैन पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण यहां चेयरमैनी के तमाम दावेदार सकते में हैं।
नगर पंचायतों की बात करें तो शाहपुर, बुढ़ाना, जानसठ, भोकरहेड़ी, और सिसौली में भी पासा पलट गया है। सिर्फ चरथावल, मीरांपुर और पुरकाजी अनारक्षित वर्ग में रह गई हैं। नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में चेयरमैन पद के बदले आरक्षण ने कई दावेदारों का खेल बिगाड़ दिया है। नई व्यवस्था में देखें तो पहले अनारक्षित मुजफ्फरनगर पालिका अब महिला के लिए आरक्षित हो गई है। पहले अनारक्षित खतौली अब पिछड़ा वर्ग के खाते में चली गई है। नगर पंचायतों में पांच दिसंबर को घोषित आरक्षण में बदलाव के बाद शाहपुर अनारक्षित से पिछड़ा वर्ग, बुढ़ाना अनारक्षित से महिला, सिसौली महिला से पिछड़ा वर्ग महिला, चरथावल महिला से अनारक्षित, भोकरहेड़ी ओबीसी से अनुसूचित जाति महिला, जानसठ अनारक्षित से पिछड़ा वर्ग, मीरापुर और पुरकाजी पहले की तरह अनारक्षित वर्ग में रहने से यहां मैदान खुला रहेगा। जाहिर है कि ज्यादातर निकायों में अब स्थिति बदल गई है। इसके चलते पहले आरक्षण के हिसाब से जो पहलवान चुनावी अखाड़े में उतरने की तैयारी कर रहे थे, उनमें अधिकांश के अरमानों पर नई आरक्षण व्यवस्था ने पानी फेर दिया है। अब इनमें हताशा देखी जा रही है। खास बात यह है कि इनमें कुछ ही लोग ऐसे हैं जिनके पास उनके घर में ऐसी महिलाएं हैं जो चुनाव लड़ने की स्थिति में हैं। अपनी पत्नियों या अन्य पारिवारिक महिलाओं को लेकर यह दावेदार उधेड़ बुन में जुटे हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को है, जिनकी सीट पर आरक्षण पूरी तरह पलट गया है। यानि जहां अनारक्षित से सीट पिछड़े या अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है। आज जारी नोटिफिकेशन में घोषित नए आरक्षण को लेकर हालांकि छह अप्रैल तक आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कोई बदलाव मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है। ऐसे में यह तय है कि अब नए आरक्षण के आधार पर ही नगर निकायों के चेयरमैनों का चुनाव होगा। आज इस बात को लेकर भी चर्चा रही कि क्या वार्डों के आरक्षण में भी फेरबदल हो सकता है। इसे लेकर सूत्रों का कहना है कि वार्डों के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा। ऐसे में वार्डों में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। आपत्ति निकायों के अध्यक्ष पदों को लेकर थी और सुप्रीम कोर्ट ने उसके लिए ही अपना आदेश जारी किया था। ऐसे में वार्डों में आरक्षण पूर्ववत रहेगा।