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Wednesday, November 27, 2024

सम्पादक की कलम से…

17 JANUARY 2023

सम्पादकीय

नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान

इन दिनों पाकिस्तान की बदहाली के कई वीडियो,भारत में देखे जा सकते हैं और पाकिस्तान में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का एक वीडियो काफ़ी चल रहा है वहां के टीवी चैनल प्रधानमन्त्री मोदी को लेकर ही कार्यक्रम बना रहे हैं और बहस भी करवा रहे हैं।अपनी खस्ता हालत और भारत की स्मृद्धि पर पाकिस्तान के अख़बार,नेता,न्यूज़ चैनल सबके सब विलाप कर रहे हैं।पाकिस्तान में प्रधानमन्त्री मोदी का जो वीडियो वायरल हो रहा है,उस वीडियो में नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं,”भाइयों-बहनों, हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी,उसे कटोरा लेकर दुनिया भर में घूमने के लिए हमने मजबूर कर दिया है”।इस वीडियो को एक पाकिस्तानी पत्रकार ने शेयर करते हुए लिखा है,”जब दुश्मन मज़ाक उड़ाए और आदर न दे तो ज़िंदा रहने से ज़्यादा अच्छा मर जाना होता है”।पाकिस्तानी सांसद और इमरान ख़ान की पार्टी के नेता ने प्रधानमन्त्री मोदी के इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है,”देखिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के बारे में क्या कह रहे हैं।अगर थोड़ी भी इज़्ज़त नहीं बची है तो कोई बात नहीं।पाकिस्तान को बचाने का एक ही उपाय है इमरान ख़ान को वापस लाना।इस पर एक महिला पत्रकार ने भी इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है,”पीटीआई वाले वीडियो को शेयर कर रहे हैं कि मोदी शहबाज़ शरीफ़ की सरकार के बारे में कह रहे हैं, लेकिन यह वीडियो 2019 का है और तब इमरान ख़ान ही प्रधानमंत्री थे”।पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पिछले महीने भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी के विरुद्ध विवादित टिप्पणी की थी।प्रधानमन्त्री मोदी के इस वीडियो पर भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने अपने वीडियो ब्लॉग में कहा है, प्रधानमंत्री मोदी अपने वीडियो क्लिप में कह रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को कटोरा लेकर देश दर देश जाने पर मजबूर कर दिया है।मोदी कह रहे हैं उन्होंने पाकिस्तान को इस मुकाम तक पहुँचा दिया है।ये तो अलग बात है कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान को इस हद तक पहँचाने में क्या किया, लेकिन इसके हम ज़्यादा कसूरवार हैं। हर पाकिस्तानी को दुख तो होता है, जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो पाकिस्तान दूसरे देशों की तरफ़ देखने लगता है।बिलावल को पाकिस्तान का पप्पू कहा जाता है बिलावल ने पीएम मोदी को ‘गुजरात का कसाई’ कहा था अब जब पाकिस्तान का ख़ज़ाना ख़ाली हो गया है और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ विदेशी दौरे कर क़र्ज़ मांगते चल रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान के भीतर एक बहस चल रही है कि पड़ोसी भारत से संबंध ठीक करना ज़रूरी है। सभी न्यूज़ चैनल इसी बहस में लगे हैं। वहां भारत की खुशहाली की दलीलें दी जा रही हैं और अपनी बदहाली का रोना रोया जा रहा है।पाकिस्तान के एक राजनीतिक और रक्षा विश्लेषक ने पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ में एक लेख लिखा था।इस लेख में उन्होंने लिखा है, ”पाकिस्तान में नरेन्द्र मोदी तिरस्कृत नाम हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इंडिया को ब्रैंड बनाया है और इससे पहले ऐसा कोई नहीं कर पाया था। सबसे अहम बात यह है कि भारत जो महसूस करता है वो करता है और उस हद तक जाता है।अमेरिका का भारत एक सहयोगी है और हम पाकिस्तानी केवल कोसने में लगे रहते हैं।हम एक भ्रम में रहते हैं और हक़ीक़त से काफ़ी दूर।इस लेख में लिखा गया है कि रूस पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंध हैं, लेकिन भारत अपनी शर्तों पर रूस से तेल ख़रीद रहा है।केवल ख़रीद ही नहीं रहा है बल्कि पड़ोसियों को निर्यात भी कर रहा है और डॉलर कमा रहा है।इसके बावजूद दुनिया के दोनों सैन्य शक्ति रूस और अमेरिका भारत को अपना सहयोगी बता रहे हैं।क्या यह राजनयिक तख़्तापलट नहीं है? इससे यह पता चलता है कि भारत कितना प्रासंगिक है।भारत आज पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है।भारत दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और ब्रिटेन भारत से पीछे हो गया है।भारत का लक्ष्य 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का है।इस लेख से पता चलता है कि पाकिस्तान को भी नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ करनी पड़ रही है।बिलावल की तरह वहां और भी सियासी पप्पू हैं, इनमें से कइयों ने इस लेख से असहमति जताते हुए बातें कही हैं।एक ने लिखा है, कि पाकिस्तान से ज़्यादा भारत को कश्मीर और पाकिस्तान के मामले में फिर सोचने की ज़रूरत है।आज की तारीख़ में भारत ज़्यादा घमंड में है और उसी वजह से पूरा इलाक़ा अस्थिर है।पाकिस्तान को चाहिए कि वह कश्मीर पर अडिग रहे।एक और ने लिखा है कि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि हमें भारत के साथ संबंधों पर सोचने की ज़रूरत है, लेकिन अचानक पाकिस्तान के लोग इसे क्यों प्रमोट करने लगे हैं?इसके जवाब में लिखा गया है,तनाव लेने की ज़रूरत नहीं है।ऐसा होने नहीं जा रहा है।हमें वैसे भी यथास्थिति पसंद है। कोई भारत को लेकर नीति बदलने नहीं जा रहा है।हम अपनी चीज़ों को व्यवस्थित नहीं कर सकते हैं।डरने की ज़रूरत नहीं है।इस तंज़ का मतलब है वहां भी भारत को लेकर भारत के प्रधानमन्त्री को लेकर लोग बातें कर रहे हैं।पाकिस्तान में कई लोग मांग कर रहे हैं कि भारत से कारोबारी रिश्ता बहाल करना चाहिए और इससे बढ़ती महंगाई को काबू में किया जा सकता है।पाकिस्तान में खाने-पीने के सामानों के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं। दाम बढ़ने के पीछे वजहें ट्रांसपोर्टेशन लागत, सामान की उपलब्धि, मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता गैप और एक्सचेंज है।कराची में 20 किलोग्राम के आटे का पैकेट तीन हज़ार रुपए में मिल रहा है जबकि इस्लामाबाद में 1300 रुपए में।पोर्ट सिटी कराची में गेहूं की पैदावार नहीं होती है और यहाँ सिंध से गेहूं आता है जो कि आते-आते बहुत महंगा हो जाता है. इस्लामाबाद में प्याज़ 240-280 रुपए किलो मिल रहा है और बाक़ी शहरों में 180 से 220 रुपए तक।पाकिस्तानियों का कहना है कि भारत से प्याज़ सहित कई सब्ज़ियां आयात करने की अनुमति देनी चाहिए।वाघा बॉर्डर से आयात बहुत आसान और सस्ता है।पाकिस्तानी मानते हैं कि भारत की तुलना में दूसरे देशों से आयात ट्रांसपोर्टेशन में ज़्यादा ख़र्च के कारण महंगा हो जाता है।

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