मुजफ्फरनगर, 8 जुलाई (बु.)। सीबीआई के नाम के दुरुपयोग की स्पेशल 26 फिल्म तो आपने जरूर देखी होगी, उसी तर्ज पर देश के तमाम हिस्सों में अपराधियों द्वारा ना जाने कितने ही लोगों को लूटा गया है। ताजा मामला मुजफ्फरनगर का है, जहां चार लोगों ने एक व्यवसायी के घर पर जाकर सीबीआई होने का रौब गालिब किया। घर में मौजूद व्यवसायी की बेटी ने इन लोगों से कार्ड मांगा, तो उनकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। उनके जाते ही पीड़ित परिवार ने उन्हें संदिग्ध बदमाश मानकर सिविल लाइन पुलिस का फोन खटखटा दिया। पुलिस ने वीडियो फुटेज खंगाली, तो वो भी सकते में आ गए, क्योंकि सीबीआई बताने वाले लोग बदमाश नहीं बल्कि एक थाने के पुलिसकर्मी निकले। अब गलती से आने की बात कहकर पूरे मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल मामला शहर के उत्तरी सिविल लाइन से जुड़ा है। यहां पर रहने वाले व्यवसायी कोरोना के चलते पड़ौसी राज्य के एक अस्पताल में अपना उपचार करा रहे हैं। कल दिन में व्यवसायी के आवास पर उनकी बेटी अकेली घर पर थी। तीसरे पहर चार बजे के करीब चार लोग उनके आवास पर आ धमकते हैं। दरवाजा खोलने के बजाए बेटी पहली मंजिल से खड़े होकर सवाल जवाब करती है। यह चारों लोग घर के मुखिया के बारे में सवाल-जवाब करते हैं। यहां तक कि उनके व्यवसाय और दुकान के बारे में बात् की जाती है। बार-बार कहा जाता है कि उनके पिता उन्हें जानते हैं। व्यवसायी की लड़की सवाल करती है कि आप लोग कौन हैं, तो जवाब दिया जाता है कि वो सीबीआई से हैं। इसके बाद व्यवसायी की बेटी कार्ड दिखाने को कहती है। कार्ड दिखाए बिना फिर आने की बात कहकर वापस लौट जाते हैं। इन लोगों के जाने के बाद व्यवसायी की बेटी अपने परिचितों को फोन कर पूरे घटनाक्रम के बारे में बात करती है। आखिरकार उन्हें संदिग्ध बदमाश मानकर सिविल लाइन पुलिस को इसकी शिकायत की जाती है। इसी के साथ एक और कहानी जुड़ जाती है। बताया जाता है कि 15 दिन पहले प्रेमपुरी में एक व्यवसायी के यहां इसी तरह सीबीआई बनकर बदमाशों द्वारा दस्तक दी जाती है, लेकिन परिवार गेट नहीं खोलता है। सिविल लाइन पुलिस भी यह खबर मिलते ही बिना देर किए मौके पर जाती है। जांच पड़ताल के बाद पुलिस लौट जाती है। इसके बाद कथित तौर पर सीबीआई टीम आने का मामला आग की तरह फैल जाता है। भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यापारी नेताओं और यहां तक के मंत्री के संज्ञान तक यह मामला लाया जाता है। बुधवार को सिविल लाइन थाने के दरोगा मौके पर जाकर आसपास के सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में लेते हैं। इसके बाद दरोगा की जांच में जो कुछ भी सामने आता है। वह बहुत चौंकाने वाला है। बताया जाता है कि व्यवसायी के घर पर आने वाले कोई बदमाश नहीं है। वो एक थाने के पुलिसकर्मी हैं, जो गलती से व्यवसायी के आवास पर पहुंच जाते हैं। सवाल उठता है कि यदि पुलिस गलती से पहुंची है, तो किस तरह व्यवसायी का नाम और उसके कारोबार के ठिकाने का नाम लिया जाता है। कुल मिलाकर पुलिस इस मामले में परदा डालने की तैयारी में है। सवाल उठता है कि सत्ताधारी और सपोर्ट में खड़े रहने वाले राष्ट्रीय सेवक संघ के पदाधिकारी पुलिस की इस करतूत को लेकर चुप क्यों हैं। यदि कोई मामला नहीं था, तो पुलिसकर्मियों ने खुद को सीबीआई बताकर परिवार को क्यों आतंकित करने की कोशिश की गई। अभी यह जवाब देने को कोई तैयार नहीं है। फिलहाल पूरा परिवार चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन शहर के लोगों में जितने मुंह उतनी बात चल रही है।