राजधानी लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में बिना मानक के चल रहे 45 अस्पतालों पर जिला प्रशासन की छह टीमों ने रविवार को छापा मारा। ज्यादातर अस्पतालों के पास लाइसेंस ही नहीं मिला। किसी के पास तो वह एक्सपायरी था। ज्यादातर जगह तो डॉक्टर ही नहीं मिले। एक अस्पताल में तो बीएससी पास संचालक ही मरीज का इलाज कर रहे थे। नर्सिंग व ओटी टेक्नीशियन का काम छात्रों के जिम्मे मिला। यही नहीं, ओटी के फ्रिज में दवाओं की जगह बीयर की बोतलें मिलीं। छापे के बाद जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने 29 अस्पतालों के खिलाफ नोटिस जारी किया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि अस्पताल प्रबंधन ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
दुबग्गा से हरदोई रोड पर अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय किंशुक श्रीवास्तव व डॉ. मिलिंद के नेतृत्व में निकली टीम पांच अस्पतालों में गई। इस दौरान मॉडर्न हॉस्पिटल मैटरनिटी एंड ट्रॉमा सेंटर में तीन आईसीयू के बेड मिले लेकिन एक्स-रे व इमरजेंसी की सुविधाएं नहीं थीं। डॉक्टर नहीं मिले, स्टाफ नर्स के पास नर्सिंग की डिग्री तक नहीं थी। बताया गया कि रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया है। न्यू एशियन हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर नहीं थे और बीएससी डिग्रीधारक अस्पताल मालिक प्रेम कुमार वर्मा खुद ही मरीजों का इलाज करते मिले। दूसरे बीएएमएस डॉक्टर एनके शुक्ला न तो डिग्री दिखा सके और न यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट का नाम बता सके। यहां फार्मेसी का लाइसेंस नहीं था और न ही फार्मासिस्ट। एएनएम का कोर्स कर रहे छात्र नर्सिंग की ड्यूटी करते मिले। मेरिटस हॉस्पिटल में भी एएनएम और जीएनएम का कोर्स कर रहे छात्र-छात्राएं नर्सिंग व ओटी टेक्निशियन की ड्यूटी कर रहे थे। लाइसेंस की वैधता भी समाप्त पाई गई। वहीं लखनऊ तुलसी एंड ट्रॉमा सेंटर में चार आईसीयू बेड थे, लेकिन ईएमओ व अन्य डॉक्टर नहीं मिले। यहां ओटी के फ्रिज में बीयर की बोतलें रखी मिलीं। लाइसेंस की वैद्यता भी खत्म हो गई थी। इसी तरह मेडिप्लस एंड ट्रॉमा सेंटर के लाइसेंस सर्टिफिकेट की वैद्यता भी समाप्त मिली। ईएमओ के अलावा कोई डॉक्टर नहीं था। फार्मेसी का लाइसेंस भी नहीं दिखा सके।