देहरादून, 14 मई (बु.)। कोरोना के संकट काल में जारी लॉकडाउन में लोग पिछले करीब दो महीने से घरों में कैद हैं। न तो लोग किसी से मिल पा रहे हैं और न ही अपने दुख दर्द अपने परिजनों से बांट पा रहे हैं जिसके फलस्वरूप उत्तराखंड में खुदकुशी के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन के चलते लोगों की जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आया है। लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं जिसके चलते डिप्रेशन, चिंता और घरेलू झगड़े खुदकुशी के कारण बने है।
ऐसा नहीं है कि राज्य में पहले खुदकुशी के केस नहीं आए थे लेकिन लॉकडाउन की अवधि में खुदकुशी के मामलों में बढ़ोतरी कई ज्यादा हुई है। आंकड़ों की बात करें तो लॉकडाउन में 22 मार्च से 22 अप्रैल तक एक महीने के दौरान राज्य में 20 सुसाइड हुए। वहीं 23 अप्रैल से 11 मई तक 18 दिनों के अंदर संख्या 25 पहुंच गई। वहीं लॉकडाउन से पहले उत्तराखंड में जनवरी महीने में केवल 12 सुसाइड हुए। यानी कि क़रीब 13 फीसदी सुसाइड मामलों में लॉकडाउन के दौरान बढ़ोतरी हुई।
वहीं पुलिस प्रशासन के अनुसार लॉकडाउन से लोगों में नकारात्मकता बढ़ी है। हालांकि इन खुदकुशी के मामलों के पीछे के कारणों की गहनता से जांच की जा रही है। लॉकडाउन में सामान्य ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई है। कोरोना को रोकने के लिए जहां लॉकडाउन ज़रूरी है वहीं लोगों को भी देश हित में लॉकडाउन के साथ अपना ख़्याल रखना भी जरूरी है।