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Tuesday, December 24, 2024

सीजन में खाली हाथ बैठे मिट्टी के कारीगर

मोरना, 19 अप्रैल (बु.)। एक तरफ महामारी का खौफ तो दूसरी तरफ आजीविका के लाले निर्धन परिवारों के लिए रोजगार का भारी संकट उत्पन्न हो गया। गर्मी के मौसम में मिट्टी के घडे बेंचकर पैसा कमानेवालों के लिए आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है।

भेडाहेडी निवासी दिनेश प्रजापति अपनी पत्नी मधु, पुत्री ऋतिका, नेहा व पुत्र वंश के साथ मिट्टी के बर्तन बनाकर उन्हें बेंचकर चन्द पैसे कमा लेता है। गर्मी के मौसम में मिट्टी के घडे, करवे आदि की बिक्री होती है। गेहूं फसल कटाई के दौरान मिट्टी के करवों की मांग होती है। ग्रामीण करवों में पानी भरकर उसका प्रयोग गेहूं की कटाई करते समय करते हैं। इसके अलावा गर्म लू चलने के दौरान ग्रामीण मिट्टी में घडों में रखा पानी पीना पसंद करते हैं। लाॅकडाउन के कारण मिट्टी के बर्तन नहीं बिक पा रहे हैं। रामू प्रजापति ने बताया कि मिट्टी के बर्तन बेचने का यही सीजन है। किसान कुछ वस्तुओं को रखने के लिए आज भी मिट्टी में बर्तनों का ही उपयोग करते हैं। मोरना के ही अरविन्द प्रजापति ने बताया कि पत्नी गुड्डी व माता प्रेमवती के साथ मिलकर वह बर्तनों की बिक्री करते हैं। आसपास के गांवों में जाकर वह मिट्टी के बर्तन बेचते हैं। लाॅकडाउन के दौरान वह घरों में हैं। ऐसे में सीजन खाली जा रहा है। गांव मोरना निवासी रामू प्रजापति का परिवार भी मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचने का कार्य करता है। लाॅकडाउन के दौरान रामू का परिवार भी घरों में है। रामू ने बताया कि सीजन तो निकला जा रहा है। सरकार को उनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए। बच्चों की पढाई व अन्य खर्च किस प्रकार चलेंगे उन्हें स्वयं नहीं पता है।

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