मुजफ्फरनगर, 13 अप्रैल (बु.)। कोरोना संक्रमण महामारी से जूझ रहे लोगों को तमाम अन्य बीमारियों से मुक्ति का कोई भी ठिकाना जनपद में दिखाई नहीं दे रहा है, जो वास्तव में माननीयों के साथ ही शासन-प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं। देश-प्रदेश के साथ जनपद में कोरोना जैसी महामारी से छेड़ी जंग में अन्य बीमारियां तो पूरी तरह से गौण सी हो गई हैं। हालांकि इन रोगों से प्रभावित मरीजों में कमी तो नहीं आई है, लेकिन इस बीच सरकारी अस्पताल में इस ओर विशेष ध्यान न देने के साथ ही बड़ी संख्या में निजी चिकित्सकों व प्रयोगशालाओं पर लटके तालों ने ऐसे मरीजों को दर-दर की ठोंकरे खाने को विवश कर दिया है। बेहतर होगा कि शासन प्रशासन इन रोजमर्रा के मरीजों की ओर भी ध्यान रखें।
जी हां यही है वैश्विक मुसीबत से जूझ रहे जनपद के विभिन्न बीमारियों से पीडि़त रोगियों का भीतरी सच। सोमवार दोपहर को बुलेटिन की टीम जब नगरीय क्षेत्र के भ्रमण पर निकली तो सदर बाजार के हालात देखकर दंग रह गई। सदर बाजार में खुल रहे डाईग्नोस्टिक सैंटर के बाहर दर्जनों मरीजों के साथ ही उनके तीमारदारों की भीड़ देखने को मिली। लॉकडाउन के बीच जहां एक ओर तमाम आवश्यक चीजों की सुविधा जनपद की जनता को मिल रही है, वहीं विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों के मामले में प्रशासन व्यवस्था बनाने में पूरी तरह से विफल ही साबित हुआ। सोमवार को जब टीम ने यहां पहुंचे मरीजों से अल्ट्रासाउंड केन्द्र पर आने का कारण जाना तो किसी को पथरी का दर्द तो कोई अन्य बीमारियों के कारण परेशान दिखाई दिया। सैंटर पर गर्भवती महिलाओं को होने वाली शिकायतें लेकर पहुंची महिलाओं की भी कमी नहीं थी, जो अपने चिकित्सक की सलाह पर उक्त केन्द्रों पर बड़ी दूर-दूर से सदर बाजार में पहुंचे। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उधर से कोई जवाब नहीं मिला। वैसे बताते चले जनपद में करीब 65 से अधिक अल्ट्रासाउंड सैंटर वर्तमान में पंजीकृत हैं, जिनमें से 50 से अधिक अल्ट्रासाउंड केंद्र तो नगरीय क्षेत्र में ही हैं, लेकिन ऐसे अधिकांश केन्द्रों पर कोरोना वायरस संक्रमण की दस्तक के बीच ताले लटके हुए हैं, जो विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की परेशानी का सबब बन रहे हैं। जहां तक जिला अस्पताल की बात की जाए तो जब से जनपद में लॉकडाउन शुरू हुआ है, तब से अन्य तमाम बीमारियों का निदान होना तो दूर की बात हो गई है। कहना गलत न होगा कि जनपद में शुरू हुई कोरोना संक्रमण की दस्तक के बीच अस्पताल में जरुरी अन्य बीमारियों के रोगियों का टोटा सा हो गया है, जिसमें एक बड़ा कारण पुलिस के डंडे का डर और वाहनों का न चलना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में भी व्यवस्था किए जाने की लोगों ने आशा की है।