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Wednesday, November 27, 2024

शब-ए-बारात पर घरों में रहकर करें इबादत- दारूल उलूम

देवबंद (सहारनपुर), 9 अप्रैल (वार्ता)। इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों से शब- ए-बारात के त्योहार को संयम के साथ घरों पर सामाजिक दूरी बनाकर मनाने की अपील की है। दारूल उलूम के मोहतमिम मुफ्ति अबुल कासिम नोमानी बनारसी ने बुधवार को जारी की गई अपील में मुस्लिमों से आग्रह किया है कि वे गुरूवार की रात और शुक्रवार को शब-ए-बारात पर्व के दौरान इबादत, नमाज, दुआ आदि के लिए मस्जिदों और कबिस्तानों का रूख न करे। जैसे कि इस्लाम की अभी तक की परंपरा रही है।
मोहतमिम मुफ्ति नोमानी ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देश में लॉकडाउन की पाबंदियां जारी है और सभी को संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करना कानूनन जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुसलमान शब ए-बारात के रोज  मस्जिदों एवं कब्रिस्तानों में जाने का इरादा भी न करे और किसी भी तरह की रोशनी और पटाखाबाजी जैसी रस्मों और गुनाहों से पूरी तरह अहतियात बरते। जो भी रस्में है। वे घरों पर ही अदा की जाए। शुक्रवार को चाहे तो वे रोजा रख सकते है। इसके अलावा जमात के साथ कोई इबादत आदि न करे। दारूल उलूम ने गत दो अप्रैल को फतवा जारी कर जुमे की नमाज घरों पर पढ़े जाने का फतवा मुसलमानों के लिए जारी किया था। जिस पर देशभर के मुसलमानों ने पूरी तरह अमल किया था। उस तरह का फतवा दारूल उलूम द्वारा अपनी स्थापना के 154 सालों में पहली बार जारी किया था। इसी तरह शब ए-बारात के त्यौहार को घरो पर मनाए जाने की अपील भी दारूल उलूम द्वारा पहली बार ही की गई है। मोहतमिम मुफ्ति अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि लॉक डाउन को एक पखवाड़ा बीत गया है। इस दौरान प्रतिबंधों के उल्लंघन की घटनाएं सामने आई है। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे शासन-प्रशासन द्वारा जारी कानूनी निर्देशों और नियमों का पालन करे। ऐसा करना नैतिक और धार्मिक दोनों तरह से उचित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि महामारियों और बीमारियों के संबंध में शरीयत की भी यही हिदायत है कि जहां पाबंदियां है वहां लोग उनका पालन करे। घरों से बाहर न निकले। नोमानी ने फरमाया कि हजरत मोहम्मद साहब की इस संबंध में कई हदीसे दमिसाले) है। उन्होंने कहा कि हजरत उमर फारूख और दूसरे साहबा इकराम से भी इन्हीं तरीकों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। इसलिए मौजूदा हालात में सावधानियां बरतना और घरों तक खुद को सीमित रखना शरई और कानूनी दोनों एतबार से महत्वपूर्ण है। उन्होंने मुसलमानों से यह भी अपील की कि वे संक्रमित होने से खुद को बचाए और हो जाने की हालत में अपना इलाज कराए। लापरवाही न बरते। उन्होंने कहा कि जो अपील वह कर रहे हैं उसका अधिकार उन्हें शरीयत से ही प्राप्त हुआ है।

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