मुजफ्फरनगर, 22 अप्रैल (बु.)। जुर्माने से भी ज्यादा लोगों पर प्रशासन द्वारा बनाया गया स्लोगन ”मैं समाज का दुश्मन हूं, मैं घर नहीं बैठूगां” का भय सबसे ज्यादा महसूस हो रहा है, क्योंकि उक्त फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है तो ऐसा लगता है कि जैसे उक्त प्लेट को लेकर फोटो खिचवाने वाला व्यक्ति ऐसा लगता है मानो अपराधी हो। जुर्माने से भी ज्यादा लोगों के बीच इसका भय दिखाई पड़ रहा है। सड़कों पर पुलिस कर्मी जब यह प्लेट किसी के भी हाथ में भी देते हैं, तो उस व्यक्ति को उक्त प्लेट हाथ में लेने पर अपनी बेज्जती महसूस होती है। पहले तो लोग इसे हाथ में लेने में ही आना-कानी करते है फिर पुलिस के धमकाने पर यह प्लेट पकड़ा गया व्यक्ति हाथ में पकडऩे को तैयार होता है। उसे यह भय सताता रहता है कि कहीं यह फोटो उसके घरवालों तक पहुंच गया, तो घर में बहुत बेज्जती होगी और कुछ लोग तो इसके डर से घर से बाहर ही नहीं निकल रहे या जिस चौराहे पर कोई भी पुलिस वाला यह पेपर लेकर खड़ा दिखाई दे जाता है तो उधर की ओर से गुजरने वाला वाहन चालक या कोई भी व्यक्ति स्वयं ही रस्ता काटकर दूसरी ओर अपना रूख कर लेता है। शहर की अच्छी कॉलोनियों जैसे गांधी कॉलोनी, नई मण्डी, द्वारिकापुरी आदि में तो लोग यह पोस्टर हाथ में लेने से ज्यादा अच्छा पुलिस वालों से माफी मांगना समझते हैं। इन कॉलोनियों के लोग साफ इनकार कर देते हैं, कि बाकि जो कुछ कर लों, लेकिन यह प्लेट हाथ में लेकर हम किसी भी सूरत में फोटो नहीं खिचवायेंगे। गांधी कॉलोनी में पहले दिन जब एक किरयाना व्यापारी का फोटो खींचकर जब सोशल मीडिया पर वायरल किया गया तो उस व्यापारी ने हीन भावना महसूस की और सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस फोटो को देखकर व्यापारी के पास यह पूछने के लिए सैंकड़ों फोन गये कि भाई इस फोटो में तुम ही हो ना। व्यापारी जब फोन सुनता-सुनता थक गया तो कहा कि हां भाई हां मैं ही हूं। कुल मिलाकर प्रशासन का लोगों को घर बैठाने का यह फार्मुला सबसे ज्यादा कामयाब होता दिखाई पड़ रहा है। जुर्माने से भी ज्यादा लोगों को इस पोस्टर के साथ फोटो खिचवाने का भय बना हुआ है।