मेरठ, 19 अप्रैल (बु.)। मेरठ के कैँसर अस्पताल के मालिक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। अस्पताल पर गलत तरीके से धार्मिक विज्ञापन देने का आरोप लगा है। विज्ञापन पर विवाद इतना बढ़ गया कि अस्पताल के मालिक को खेद जताना पड़ा। 17 अप्रैल को अखबार में दिए गए विज्ञापन में कोरोना को लेकर मुस्लिम समुदाय पर आरोप लगाया गया था जबकि हिंदू और जैन समुदाय के अधिकांश लोगों को कंजूस बताया गया था।
अस्पताल के विज्ञापन पर पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए मालिक के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज की। दरअसल कैंसर अस्पताल ने एक विज्ञापन दिया था, जिसमें कहा गया था कि कैंसर के मुस्लिम मरीज अस्पताल आएं तो उनसे अनुरोध है कि वे अपना और अपने तीमारदारों का कोरोना टेस्ट कराएं और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही आएं।
इस विज्ञापन के आते ही विवाद शुरू हो गया। विवाद होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने स्पष्टीकरण जारी कर खेद भी जताया था। अस्पताल से अपनी सफाई में कहा कि हॉस्पिटल की भावना हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई सब को साथ लेकर चलने की है। किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की हॉस्पिटल की मंशा कभी नहीं रही। पुलिस ने आईपीसी की धारा 188, 295-ए और 505(3) के तहत अस्पताल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
अस्पताल द्वारा दिए गए विज्ञापन में मुस्लिम समाज के बारे में कहा गया था कि तबलीगी जमात से कोरोना वायरस की बीमारी बढ़ रही है। मुस्लिम लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं। स्वच्छता का पालन नहीं कर रहे हैं। साथ ही वो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विज्ञापन में कहा गया था कि थूकना, चिकित्सकों, नर्सों, और चिकित्साकर्मियों को संक्रमित करने की उनकी इच्छा उनकी दुर्भावना को जाहिर करती है।
विज्ञापन में यह भी कहा गया था कि जो भी कैंसर के मुस्लिम मरीज अस्पताल आएं उनसे अनुरोध है कि वे अपना और अपने तीमारदारों का कोरोना टेस्ट कराएं और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही अस्पताल आएं। मामला सिर्फ यहीं नहीं रुका. विज्ञापन में हिंदू और जैन अनुयायियों पर भी टिप्पणी की गई थी। विज्ञापन में हिंदू और जैन समुदाय के बारे में कहा गया कि इनमें अधिकांश लोग कंजूस हैं। उनसे आग्रह है कि वो प्रधानमंत्री केयर्स फंड में सहयोग राशि दें, देश की मदद करें.
विवादित विज्ञापन को जब लोगों ने पढ़ा तो खूब विवाद हुआ। अस्पताल को अगले दिन उसे स्पष्टीकरण और खंडन का विज्ञापन छापना पड़ा। अस्पताल ने सफाई में कहा कि हॉस्पिटल की भावना हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई सब को साथ लेकर चलने की है। किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की हॉस्पिटल की मंशा कभी नहीं रही। अगर किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो दिल से खेद व्यक्त करते हैं।