मुजफ्फरनगर, 13 अप्रैल (बु.)। कोरोना संक्रमण के बीच संभ्रांत लोगों के घरों में कैद होने के साथ गली-मौहल्लों के आवारा श्वान का नगरीय क्षेत्र में पूरी तरह कब्जा सा हो गया है, जिसमेंं अब तक उक्त आवारा श्वानों की जद में आने के बाद बड़ी सं या में लोग घायल हो चुके हैं। कहना गलत न होगा कि यही हालात रहे तो आने वाले दिनों मेें आवारा श्वानों के कारण रात्रि में जरुरी काम के लिए लोगों का घर से निकलना बन्द हो जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। गली-मौहल्ले से नगरीय क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर घूम रहे आवारा श्वानों के ही कारण कई लोग घायल हो चुके हैं, जो चिंतन का ही विषय है। जिला प्रशासन को उक्त मुद्दे पर संवेदनशील होकर कार्यवाही करनी होगी, तभी नगर के हालात सामान्य होंगे।
वैश्विक मुसीबत का कारण बने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश में जारी प्रथम चरण के लॉकडाउन की समय सीमा आज समाप्त हो रही है, लेकिन फिर भी कई प्रांतों के हालात सामान्य से अधिक भयावह नजर आ रहे हैं। हालांकि इस दौरान कोरोना संक्रमण से जूझ रहे जिले में सिसौली की महिला व बीते दिवस खतौली में मिले रिटायर्ड फौजी को छोड़ दिया जाए तो उसके अलावा शेष मामलों में जमातियों को ही कोरोना संक्रमण के 5 मामले पॉजिटिव मिले हैं। इस दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव की दिशा में शुरू प्रयासों में 21 दिन के लॉकडाउन में गली मौहल्लों में घूमने वाले आवारा श्वानों को हड़काया सा बनाकर रख दिया है, जिन्होंने देर-सवेर ही नहीं दिन में सड़कों पर तमाम लोगों का निकलना मुश्किल कर दिया है। मु य सड़कों पर घूमते ऐसे श्वानों का झुुंड़ रोजमर्रा इधर से उधर जाते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, जिससे तमाम लोगों में इन श्वानोंं को देखते ही अनचाहा सा भय देखते बनता है। देश-प्रदेश के साथ जिले में लगातार 21 दिनों से चले आ रहे लॉकडाउन के बीच सड़कों पर इन आवारा श्वानों के कारण सड़कों पर घूमते जरुरतमंद लोगों को अनचाहा सा भय देखने को मिलता है। कहना गलत न होगा आवारा श्वानों के इस आतंक के बीच मोटर साइकिल एवं स्कूटर सवार भी जहां एक ओर इनकी चपेट में आने से घायल हो चुके हैं, वहीं कुछ लोगों को इनकी गिरफ्त में आने से जिला अस्पताल की शरण में भी जाना पड़ रहा है। नगरीय क्षेत्र में इन आवारा श्वानों की बात की जाए तो बड़ी संख्या में लोग जब वक्त बेवक्त जरुरी कार्यो के लिए घरों से निकलते हैं तो बड़ी संख्या में मौहल्ले की गलियों के चौराहों से मुख्य सड़कों तक आवारा श्वानोंं का आतंक हर ओर देखने को मिलता है, लेकिन बड़ी बात यह है कि आवारा श्वानों से बचाव को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा अभी तक कोई सुधार होता ही दिखाई नहीं देता, जो वास्तव में दुर्भाग्य का कारण है। अलसुबह से देर रात्रि तक मुख्य सड़कों से तमाम गली-मौहल्लों में बैठा आवाराश्वानों का यह झुंड लोगों की मुसीबत का सबब बनता जा रहा है, जिससे मुक्ति का दूर तक कोई साधन दिखाई नहीं देता। बता दें, पूर्व में पालिका की ओर से इन आवारा श्वानों को पकडऩे के लिए तत्कालीन नगरपालिका चेयरमैन ने ठेका छोड़ा था, लेकिन बाद में पशु क्रूरता अधिनियम की दुहाई देते हुए इस अभियान को रोक दिया गया था। आवारा श्वानों को एक बार फिर जिला प्रशासन के ऐसे अभियान की जरुरत है, तभी आवारा श्वानों के इन हमलों से लोगों को राहत मिल सकेंगी।