नई दिल्ली, 10 अप्रैल (वार्ता)। सरकार ने अमेरिका, इजरायल, नेपाल, भूटान आदि देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात को लेकर उठे विवाद के बीच शुक्रवार को साफ किया कि देश में यह दवा इस समय आवश्यकता से तीन गुना से अधिक मौजूद है और देश की जरूरतों को पूरा करने के बाद ही अन्य देशों को इसका निर्यात खोला गया है। कोरोना वायरस कोविड-19 को लेकर सरकार की नियमित ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय में कोविड-19 प्रकोष्ठ के प्रभारी अतिरिक्त सचिव दामू रवि ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन सहित कुछ दवाओं के निर्यात खोलने की विदेशों की मांग पर सचिवों की समिति और फिर मंत्रिसमूह ने विचार किया है और देश की जरूरतों एवं उत्पादन की स्थिति के आधार पर कुछ दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील दी गयी है। श्री रवि ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की मांग सर्वाधिक है और उसकी आपूर्ति के लिए सर्वाधिक अनुरोध प्राप्त हुए हैं। जिन देशों को ये दवा भेजी जानी है, सरकार ने उनकी पहली सूची को स्वीकृति दे दी है और अब दूसरी सूची तैयार हो रही है। बाद में तीसरी सूची भी तैयार की जाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि इस समय देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की तीन करोड़ 28 लाख गोलियां उपलब्ध हैं जबकि विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक देश में एक माह में करीब एक करोड़ गोलियों की खपत है। इस प्रकार से इस दवा की उपलब्धता देश की जरूरत की तीन गुना से अधिक है। श्री अग्रवाल ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक यदि देश में खराब से खराब स्थिति बनी तो भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आवश्यकता करीब एक करोड़ 60 लाख होगी। इसके अलावा दो से तीन करोड़ गोलियों की आपूर्ति का अतिरिक्त इंतजाम किया गया है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में चिकित्सा जरूरतों के लिए देश भर में दो करोड़ गोलियां भी पहले ही भेजी जा चुकीं हैं। उन्होंने कहा कि इस हिसाब से भी देखा जाये तो हमारी जरूरत से कहीं अधिक मात्रा में यह दवा उपलब्ध है और निर्यात से देशवासियों की जरूरतों पर कोई विपरीत असर पड़ने की कतई कोई संभावना नहीं है।