टीकाकरण रुका तो बढ़ेगा अन्य बीमारियों का खतरा : डब्ल्यूएचओ
टीकाकरण रुका तो बढ़ेगा अन्य बीमारियों का खतरा
जिनेवा/नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (वार्ता) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ की रोकथाम के लिए प्रतिबंधों के बीच अन्य बीमारियों का नियमित टीकाकरण रुकना नहीं चाहिये क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो दूसरे रोगों का खतरा बढ़ जायेगा।
विश्व टीकाकरण सप्ताह (24 से 30 अप्रैल) की पूर्व संध्या पर डब्ल्यूएचओ ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि कम समय के लिए भी टीकाकरण की सुविधायें बाधित होने से उन बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है जिन्हें टीका लगाकर रोका जा सकता है। इनमें खसरा, पोलियो, डिपथेरिया आदि शामिल हैं। अफ्रीकी देश कांगो में इबोला महामारी के दौरान पिछले साल छह हजार बच्चे खसरा से मर गये। इससे स्पष्ट है कि आपातकाल के समय भी टीकाकरण तथा अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रखना किस कदर जरूरी है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कहा, ” जब हमारे पास सुरक्षित और प्रभावी टीके मौजूद हैं तो उन बीमारियों के फैलने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहिये। दुनिया रिकॉर्ड गति से कोविड-19 का टीका खोज रही है। इस बीच हमें उन दूसरी बीमारियों से लड़ाई में हारने का खतरा नहीं उठाना चाहिए जिन्हें टीका लगाकर रोका जा सकता है। यदि हम टीकाकरण नहीं करते हैं तो ये बीमारियाँ काफी तेजी से फैलेंगी।
उन्होंने बताया कोविड-19 का टीका जल्द विकसित करने के लिए डब्ल्यूएचओ सहभागियों के साथ मिलकर तेजी से काम कर रहा है, लेकिन प्रक्रियाओं में तीव्रता लाने के बावजूद इसमें समय लगेगा।
संगठन ने बताया कि दुनिया भर में अब भी काफी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें नियमित टीके नहीं लग पाते। वर्ष 2018 में दो करोड़ बच्चे खसरा, डिपथेरिया और टीटनेस जैसी बीमारियों के टीकों से वंचित रह गये। करीब 1.3 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जिन्हें आज तक कोई टीका नहीं लगा है। इससे सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। टीकाकरण न होने की स्थिति में खसरा, पोलियो, डिपथेरिया और पीत ज्वर का संक्रमण फैलने का खतरा काफी अधिक हो जाता है।
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