आखिर वही हुआ, जिसका डर था, बैंककर्मी हुआ कार्य करते-करते बेहोश
मुज़फ्फरनगर, 20 अप्रैल (बु.)। केन्द्र व उ.प्र. सरकार द्वारा गरीबों को जनधन योजना व श्रमिकों के खाते में पैसा पहुंचाने की योजना की घोषणा के बाद से ही बैंकों में ल बी-ल बी लाईनें लगने लगी थी और इसका क्रम बादस्तूर जारी है। बैंककर्मी पैसा देते-देते थकने लगे हैं, लेकिन लेने वालों की लाइन टूटने का अभी नाम नहीं ले रही। ऐसे में बैंककर्मी सरकार को कार्य बंद करने की हि मत तो नहीं जुटा पा रहे हैं, लेकिन उनकी मानसिक व शारीरिक थकान अब शायद दिखाई देने लगी है। शहर में भीड़ के मामले में न बर वन बने गांधी कॉलोनी के बैंक ऑफ बड़ौदा में मारामारी का हाल तो है ही, लेकिन बैंक की अन्य शाखाएं भी इससे नहीं बच पाई। नई मण्डी बैंक की शाखा पचैण्डा के बैंक कैशियर की हालत बिगडऩे का मामला सामने आया, जिसमें कार्य करते करते बैंक कैशियर की हालत इतनी बिगड़ गयी कि डॉक्टरों को सूचित कर बैंक में एंबूलेंस को बुलाना पड़ा। हालांकि शासन ने अब भीड़ को कम करने के लिए मोबाइल वैन भी उपलब्ध कराना शुरू कर दिय है, लेकिन अभी इसे शुरू किए हुए दो दिन ही हुए हैं, जिस कारण अभी बैंकों से भीड़ कम नहीं हो पाई है। अब सरकार को यह सोचना होगा कि और कौन सा तरीका है, जिससे बैंक कर्मियों को थोड़ा मानसिक व शारीरिक आराम मिल सके और वह अपने कार्य को बिना तबीयत खराब किए अंजाम दे सकें।