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Friday, April 26, 2024

प्रयागराज : सात साल के विचाराधीन कैदियों की रिहाई का फैसला, 8 सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत या पैरोल पर होंगे रिहा

प्रयागराज, 28 मार्च (वार्ता)। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण राज्य सरकार के अधीन गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने सात साल तक की सजा के विचाराधीन कैदियों की रिहाई का फैसला लिया है। यह निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी समादेश के पालन मे लिया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों से अनुरोध किया है कि विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहाई की व्यवस्था करें। यह आदेश उच्चतम न्यायालय के आदेश से गठित हाई पावर कमेटी के निर्देशानुसार जारी किया गया  है। हाई पावर कमेटी में उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, अपर मु य सचिव गृह एवं डीजीपी कारागार उत्तर प्रदेश शामिल है। गौरतलब है कि 27 मार्च को हाई पावर कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार (विदेशी नागरिकों को छोड़कर) उन सभी विचाराधीन कैदियों, जिन्हें अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा के अपराध में जेलों में रखा गया है, सभी को  8 सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किया जायेगा। इस कार्य के लिए सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेटों सहित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट  जेलों में जाकर बंदियों  का व्यक्तिगत बांड लेने के बाद ही उन्हें पेरोल अथवा अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश देंगे। न्यायिक सूत्रों ने बताया कि ऐसे कैदियों से इस आशय का बांड भराया जाएगा कि वे आठ सप्ताह की अवधि पूरी होने के बाद अदालतों में समर्पण करेंगे। उक्त न्यायिक अधिकारी अपने अपने जिलों की जेलों में जाकर अन्डर ट्रायल कैदियों से जमानत अर्जी प्राप्त कर जमानत पर रिहा करने की व्यवस्था करेंगे। कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि अंतरिम जमानत देने के लिए जेल स्टॉफ, जेल पैरा लीगल वालंटियर, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता  पैनल की मदद ली जाएगी। प्रदेश स्तरीय अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी सप्ताह में एक बैठक कर इस संबंध में जिला अथारिटी को उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत दिशानिर्देश जारी करती रहेगी। संबंधित जेल अधीक्षक  जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  के सचिव के संपर्क में रहेंगे। यह भी कहा गया है कि स्टेट लीगल मॉनिटरिंग टीम को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा होने वालों की प्रतिदिन  सूचना भेजी जाए, जो कि मामले की मानिटरिंग कर रही है। यह आदेश उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुदीप कुमार जायसवाल ने जारी किया है।

 

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